Thursday, January 10, 2013

सब के जाम भरे हुवे है, फिर मेरा ही क्यों है खाली

सब के जाम भरे हुवे है, फिर मेरा ही क्यों है खाली...
क्यों मिलाती है, औरो को ही सोहरत यहाँ...
और क्यों मुफलिसों के घर अब तक है खाली...
ऐ मौला तेरे दरवार में मुझे बस अपनी बात कहने का मौका मिल जाये...
दहक जायेंगे उनके दिल जिन्होंने इस जुगनू को रात में जलते नहीं देखा होगा...

By :: Lalit Bisht 

Wednesday, December 19, 2012

इस तरह से रोकते है वो लोग अब रस्ते हमारे |


इस तरह से रोकते है वो लोग अब रस्ते हमारे |
सोने से पहले ही जगाते है , कही रातो में रातो में कोई खवाब ||

अब इन आँखों में नीद का आना एक ख्व्वाब सा हो गया है |
जब से वो शक्श हमसे जुदा सा हो गया है ||

शायद खबर नहीं होगी, उन लोगो को अभी |
जो हमें जगाने के लिये, रातों की नीदे ख़राब करते है अपनी ||

हमें तो आदत है, यूँ रातो में जगाने की |
उनकी सेहत देख लगता नहीं, क़ी वो भी वाकिफ होंगे इस हुनर से ||

अब जा कर कोई कह दे उनसे ,
की इन तूफानों का रास्ता न रोंके ||
एक पल में याद दिला सकते है तुम्हारी औकात |
मगर आज भी हम मानवता की हद नहीं पार करते ||

Saturday, December 15, 2012

मैं वो पत्थर हूँ, जिसे हर किसी ने ठुकराया हैं |




मैं वो पत्थर हूँ, जिसे हर किसी ने ठुकराया हैं |

हमारे इस भोलेपन का हर किसी ने फायदा उठाया हैं ||

तरह-तरह से रोकते है वो लोग अब रस्ते हमारे |

झोली फैलाये फिरते थे, जो कभी सामने हमारे ||


By: Lalit Bisit

Wednesday, December 12, 2012

करवातो में कटती रात, सिलवटो में बदल गयी |


करवटो में कटती रात, सिलवटो में बदल गयी |

करवटो में कटती रात, सिलवटो में बदल गयी |

इतने खुश थे, कि यूँ ही रात गुजर गयी ||

 इस कदर किया आज, किसी की  नजरो ने घायल |

बेजान ज़िन्दगी में जैसे हजारो रंग भर गयी ||


Saturday, October 20, 2012

उन छोटे बच्चो की भी क्या किस्मत होती है |

उन छोटे बच्चो की भी क्या किस्मत होती है |
जो एक बड़ा सा थैला उठा कर,
कभी सड़को से कूड़ा उठाते हैं ,
कभी स्टेशन से कूड़ा उठाते हैं ,
फिर....... जब घर जाते है तो,
एक रोटी भी चैन की नहीं खा पाते है ||

Friday, October 5, 2012

रोज मिलने की तमन्ना कही बढ न जाये |





रोज मिलने की तमन्ना कही बढ न जाये |

तेरी मोहब्बत का नशा मुझ पर कही चढ़ न जाये ||
 

इस उम्र में ये शौक अच्छा नहीं है ' ललित !'कही ये 

दुनियां तुझे भी दीवाना न कहने लग जाये ||
                                                                

तेरी आँखों का काजल, तेरे गालो तक आ गया |

तेरी आँखों का काजल, तेरे गालो तक आ गया |

तेरे इस हाल पर, मेरा दिल भी घबरा गया ||

मैंने तो यूँ ही थम लिया था हाथ तुम्हारा |

और तेरी आँखों से इस कदर पानी आ गया ||

Thursday, September 27, 2012

खूबी तो हम में ऐसी कुछ खास नहीं

सिर्फ कमियाँ ही नजर आई होंगी हमारी ।
वरना खूबी तो हम में ऐसी कुछ खास नहीं ।।

महफ़िल में हमारी ही ओर थी उन की निगाहें ।
मगर सूरत भी हमारी,  ऐसी कुछ खास नहीं ।।

फिर आके पास, वो धीरे से बोली ।
इतने खामोश क्यों हो ?

कैसे बता दें उन्हें कि,
महफ़िल मे आज वो भी है...जिन्हें अब हमारी हँसी रस नहीं ।।

Tuesday, September 25, 2012

इंतजार किसको है |

कल के आने का इंतजार किसको है |
अपनी कमियों से, यहाँ प्यार किसको है ||

हम तो सबसे सर झुका के मिला करते थे |
मगर यहाँ सर झुका के मिलाना रास किसको है ||

यहाँ तो सब लगे हैं, एक-दुजे की उधेड़ बुन में |
प्यार की बाते करने का, यहाँ वक्त किसको हैं ||

तूफान आते हैं सागर में, नदियों को क्या पता |
कितने जख्म खाए होंगे, ये उन चेहरों को क्या पता ||

फूलों को पहले काटा बना देते हैं यहाँ लोग |
और फिर कहते है उन काटों से की चुभना छोड़   दें ||

फिर भी हम उनकी बातो में अक्सर आ जाते हैं |
काटे होकर भी उन फूलो की तरह मुस्कुरा जाते है ||

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Monday, September 24, 2012

वो लड़की मुझे आज भी दीवानी लगाती है ||

ऐसा नहीं की कोई भी अपना नहीं मिला |
तन्हा रातो में पड़ सके जिसे वो चेहरा नहीं मिला ||

मिले बहुत यहाँ फूलों को भौंवरे मगर |
जो फूलों का दर्द पढ़ सके, वो भौवरा नहीं मिला ||

किसी पत्थर का पिघल जाना यहाँ मुमकिन न हो सका |
लाख कोशिशों के बाद भी वो पत्थर दिल न पिघल सका ||

हम उन रातो में अक्सर रो जाया करते थे |
जिन रातो में वो खुशियाँ मनाया करते थे ||

अब हम मोहब्बत के गीत गया करते हैं |
वो सुन-सुन के रो जाया करते हैं ||

अपनी अदाओं में वो अब भी इतना गुरुर रखती है |
हम जब भी उन्हें देखते है, वो नजरे झुका लिया करती हैं ||

उसकी ये अदा मुझे अब भी सुहानी लगाती हैं |
वो लड़की मुझे आज भी दीवानी लगाती है ||