Thursday, September 27, 2012

खूबी तो हम में ऐसी कुछ खास नहीं

सिर्फ कमियाँ ही नजर आई होंगी हमारी ।
वरना खूबी तो हम में ऐसी कुछ खास नहीं ।।

महफ़िल में हमारी ही ओर थी उन की निगाहें ।
मगर सूरत भी हमारी,  ऐसी कुछ खास नहीं ।।

फिर आके पास, वो धीरे से बोली ।
इतने खामोश क्यों हो ?

कैसे बता दें उन्हें कि,
महफ़िल मे आज वो भी है...जिन्हें अब हमारी हँसी रस नहीं ।।

Tuesday, September 25, 2012

इंतजार किसको है |

कल के आने का इंतजार किसको है |
अपनी कमियों से, यहाँ प्यार किसको है ||

हम तो सबसे सर झुका के मिला करते थे |
मगर यहाँ सर झुका के मिलाना रास किसको है ||

यहाँ तो सब लगे हैं, एक-दुजे की उधेड़ बुन में |
प्यार की बाते करने का, यहाँ वक्त किसको हैं ||

तूफान आते हैं सागर में, नदियों को क्या पता |
कितने जख्म खाए होंगे, ये उन चेहरों को क्या पता ||

फूलों को पहले काटा बना देते हैं यहाँ लोग |
और फिर कहते है उन काटों से की चुभना छोड़   दें ||

फिर भी हम उनकी बातो में अक्सर आ जाते हैं |
काटे होकर भी उन फूलो की तरह मुस्कुरा जाते है ||

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Monday, September 24, 2012

वो लड़की मुझे आज भी दीवानी लगाती है ||

ऐसा नहीं की कोई भी अपना नहीं मिला |
तन्हा रातो में पड़ सके जिसे वो चेहरा नहीं मिला ||

मिले बहुत यहाँ फूलों को भौंवरे मगर |
जो फूलों का दर्द पढ़ सके, वो भौवरा नहीं मिला ||

किसी पत्थर का पिघल जाना यहाँ मुमकिन न हो सका |
लाख कोशिशों के बाद भी वो पत्थर दिल न पिघल सका ||

हम उन रातो में अक्सर रो जाया करते थे |
जिन रातो में वो खुशियाँ मनाया करते थे ||

अब हम मोहब्बत के गीत गया करते हैं |
वो सुन-सुन के रो जाया करते हैं ||

अपनी अदाओं में वो अब भी इतना गुरुर रखती है |
हम जब भी उन्हें देखते है, वो नजरे झुका लिया करती हैं ||

उसकी ये अदा मुझे अब भी सुहानी लगाती हैं |
वो लड़की मुझे आज भी दीवानी लगाती है ||

Sunday, September 23, 2012

इस दुनियां की भीड़ में, तुम कही खो न जाओ

तेरे संग देखा हर ख्वाब, चाहा की सच हो जाये |
तू भी एक दिन, मेरी धड़कनों में बस जाये ||

तेरी हर ख़ुशी महफ़िल की रौनक बढ़ा दें | 
तू जो चाहे तो एक- एक गम से, महफ़िल को रुला दें ||

तेरी आंसमा में उड़ने की चाहत, सच होते अब देर न लगेगी |
बस तू अपने कदमों को, जमी से थोडा उठा लें ||

हमारे मिल कर बिछुड़ने की दास्ताँ में, फख्र करेगी ये दुनियां |
बस तू अपनी मंजिल को पाने के लिए, मुझे भी सीढ़ी बना लें ||

हम मिलेगें यार वही  खंडहरों में, जहाँ चुपके से मिला करते थे |
उन खंडरों को देख, बस तू एक बार मिलन का अहसास करा दें ||

इस  दुनियां की भीड़ में, तुम कही खो न जाओ ' ललित ! ' |
इसलिये ये सारी उलझने, अब उनके हाथो में थमा दें ||

Thursday, September 6, 2012

उनके हाथो में मेहंदी का रंग चड़ने वाला है...

उनके हाथो में मेहंदी का रंग चड़ने वाला है...
हमारे सीने में दिल का दर्द बढ़ने वाला है....
वो कह सकेगे जिसे अपना, उन्हें वो मिलने वाला है...
हम कहते थे जिसे अपना, हमसे वो बिछुड़ने वाला है...