सिर्फ कमियाँ ही नजर आई होंगी हमारी ।
वरना खूबी तो हम में ऐसी कुछ खास नहीं ।।
महफ़िल में हमारी ही ओर थी उन की निगाहें ।
मगर सूरत भी हमारी, ऐसी कुछ खास नहीं ।।
फिर आके पास, वो धीरे से बोली ।
इतने खामोश क्यों हो ?
कैसे बता दें उन्हें कि,
महफ़िल मे आज वो भी है...जिन्हें अब हमारी हँसी रस नहीं ।।
वरना खूबी तो हम में ऐसी कुछ खास नहीं ।।
महफ़िल में हमारी ही ओर थी उन की निगाहें ।
मगर सूरत भी हमारी, ऐसी कुछ खास नहीं ।।
फिर आके पास, वो धीरे से बोली ।
इतने खामोश क्यों हो ?
कैसे बता दें उन्हें कि,
महफ़िल मे आज वो भी है...जिन्हें अब हमारी हँसी रस नहीं ।।