कल के आने का इंतजार किसको है |
अपनी कमियों से, यहाँ प्यार किसको है ||
हम तो सबसे सर झुका के मिला करते थे |
मगर यहाँ सर झुका के मिलाना रास किसको है ||
यहाँ तो सब लगे हैं, एक-दुजे की उधेड़ बुन में |
प्यार की बाते करने का, यहाँ वक्त किसको हैं ||
तूफान आते हैं सागर में, नदियों को क्या पता |
कितने जख्म खाए होंगे, ये उन चेहरों को क्या पता ||
फूलों को पहले काटा बना देते हैं यहाँ लोग |
और फिर कहते है उन काटों से की चुभना छोड़ दें ||
फिर भी हम उनकी बातो में अक्सर आ जाते हैं |
काटे होकर भी उन फूलो की तरह मुस्कुरा जाते है ||
H2DWHVYP8FJ6
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