धरती हमारी माता हैं, इसको तुम प्रणाम करो |
इस जननी का उस जननी से, सदियों का ये नाता हैं |
जन्म दिया हमको उस माँ ने, इस की गोद में खेले है |
चाहत फिर भी कम न हुई इसकी,
हमारे वजन को सदा कंधो पर धोया है ||
धरती हमारी माता हैं, इसको तुम प्रणाम करो ||
जो माँगा सब कुछ दिया धरती ने ,
जो चाहा सब कुछ लिया इस धरती से |
अब हम क्यों करते है इसको मैला,
सब कुछ समर्पित कर दिया जिसने अपने लाल पर |
हम उसी का विनाश कर रहे हैं,
जिसने हमें बोलने के काबिल बनाया,
जिसने हमें चलाना सिखाया |
और भूल बैठे है कि उस का विनाश ही हमारा अन्त होगा |
कोई भी दुनिया उसे स्वीकार नहीं करेगी,
जिसने अपनी माँ को ठुकरा दिया हो ||
अभी भी कुछ ख़त्म नहीं हुआ |
ये सब जान लो ,
इस धरती माँ को पहचा लो |
मत करो इस का विनाश,
क्यों कि इसी मे बसा है,
हमारा पूरा संसार |
हमारा कल, हमारा परसों...
आने वाले वो दिन जिन्हें जियोगे आप वर्षो वर्षो...
इस लिए कहता हूँ.....
धरती हमारी माता हैं, इसको तुम प्रणाम करो |
हो जग जिससे सुन्दर, ऐसा भी कुछ काम करो |
धरती हमारी माता हैं, इसको तुम प्रणाम करो ||
ललित बिष्ट