Monday, July 30, 2012

धरती हमारी माता हैं, इसको तुम प्रणाम करो ||


धरती हमारी माता हैं, इसको तुम प्रणाम करो |
इस जननी का उस जननी से, सदियों का ये नाता हैं |
जन्म दिया हमको उस माँ ने, इस की गोद में खेले है |
चाहत फिर भी कम न हुई इसकी,
हमारे वजन को सदा कंधो पर धोया है || 
धरती हमारी माता हैं, इसको तुम प्रणाम करो ||

जो माँगा सब कुछ दिया धरती ने ,
जो चाहा सब कुछ लिया इस धरती से |
अब हम क्यों करते है इसको मैला,
सब कुछ समर्पित कर दिया जिसने अपने लाल पर |
हम उसी का विनाश कर रहे हैं,
जिसने हमें बोलने के काबिल बनाया,
जिसने हमें चलाना सिखाया |
और भूल बैठे है कि उस का विनाश ही हमारा अन्त होगा |
कोई भी दुनिया उसे स्वीकार नहीं करेगी, 
जिसने अपनी माँ को ठुकरा दिया हो ||

अभी भी कुछ ख़त्म नहीं हुआ |
ये सब जान लो ,
इस धरती माँ को पहचा लो |
मत करो इस का विनाश,
क्यों कि इसी मे बसा है,
हमारा पूरा संसार |
हमारा कल, हमारा परसों...
आने वाले वो दिन जिन्हें जियोगे आप वर्षो वर्षो...
इस लिए कहता हूँ..... 
धरती हमारी माता हैं, इसको तुम प्रणाम करो |  
हो जग जिससे सुन्दर, ऐसा भी कुछ काम करो |
धरती हमारी माता हैं, इसको तुम प्रणाम करो ||



ललित बिष्ट 

Tuesday, July 24, 2012

मैंने इस शहरों में, शादियों में बड़ा अजूबा देखा हैं |

मैंने इस शहरों में, शादियों में बड़ा अजूबा देखा हैं |
बड़े बड़े अफीसरों को मैंने,
भिखारियों की तरह पलेट कटोरों में देखा है |
यहाँ शादियों में बड़ी रौनक लगी मिलती है,
काउंटर में खाली लिफाफे जमा करने वालों की भीड़ लगी रहती है |
हर एक आदमी, खिलने वाले की बुराई मे लगा रहता है,
एक-एक की थाली मे, दस का खाना लगा रहता है |
जहाँ देखो, हर तरफ लोग ऐसे नजर आते है,
संसद में जैसे भेड़िये घूस जाते है |
लोग शादी मे बैंड खूब बजवाते है,
और जाते जाते बैंड वाले की ही बुराई कर जाते है |
कैसे अमीरों ने शादियों का ढंग बदल रखा है,
 गरीब की नाक मे दम कर रखा है |
शादियाँ यहाँ व्यापार बन गयी है,
दुलहन की मांग का सिंदूर, पैसे मे बदल गयी है |
चलो अच्छा है, अभी सिर्फ ढंग बदला है,
कुछ समय बाद इंसान का रंग बदल जायेगा |
फिर एक दिन इंसान, खुद इंसान बनाने को तरस जायेगा ||

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Friday, July 20, 2012

अब छोड़ दिया लेना हमने उनका सहारा..


अब छोड़ दिया लेना हमने उनका सहारा..
जो हर रोज हमें बीच राह मे छोड़ देते है..
हम अपनी चाहत मे उन्हें घर तक ले चलते है..
और वो दरवाजे से ही हमें वापस मोड़ देते है..

Wednesday, July 11, 2012

समंदर की जो लहरों को, मचलना खूब आता हैं |


१>समंदर की जो लहरों को,

                                मचलना खूब आता हैं |

तो इन पत्तों को भी पतझड़ में,
                                         गिरना खूब आता हैं ||

इन्हीं की चाल पर चलते ,
                                  दीवानों को भी समझा दों |

कि बिन पंखों के परिंदों को ,
                                    भी इस धरती पर चलना हैं ||

२>  ये दीवाने हैं इनको
                              रोक ना पाओगें उड़ने से |

ये परवाने हैं इनको
                          रोक ना पाओगें जलने से ||

इन्हें तो यूँ ही उड़ने दो
                              सभल जायेंगे गिर- गिर के |

वरना खुद ही मिट जायेंगे
                                  ये दुनिया के जलने से ||

दीवाने पान का भी अपना ,
                                  अलग अहसास होता हैं |

उम्मीदों को बदलने का ,
                                     अलग अंदाज होता हैं ||

मोहब्बत हो ही जाती हैं ,
                                 जब आँखें चार होती हैं |

शरारत हो ही जाती हैं ,
                              जब आँखें वार करती हैं ||

तेरी यादों को जीने का, सहारा मै समझता हूँ |


तेरी यादों को जीने का, सहारा मै समझता हूँ |

तुम्हे अपनी निगाहों का, नजारा मै समझता हूँ ||

कि जिस दिन तुम नहीं आते, मेरा दिल रूठ जाता है |

मनाऊं दिल को अब कैसे, समझ मेरे न आता है ||

जो तुमको भूल जाने कि, बहुत कोशिश जो कि हमने |

मगर हर बार वो चेहरा, मेरी आँखों में रहता है ||

जो आँखे बन्द भी कर लूँ, तो फिर सपनों मे आता है ||

तो कैसे भूल जाऊ उसको, अब इतनी सरलता से |

जिसे पाने मे हमने खो दिए, वर्षों जवानी के ||

अब तो यूँ ही बस जीते है, कि कट जाये ये जीवन |

फिर अगले जन्म मे हमको मिले वो दिन जवानी के ||..||

Tuesday, July 10, 2012

अब उनकी चाहत इस दिल से मिटा देंगे |

अब उनकी चाहत इस दिल से मिटा देंगे |
महफ़िल मे अब बिन उनके भी मुस्कुरा लेंगे ||
हमारी चाहत को, वो कही मजबूरी न समझ लें||
इस लिए अब रों- रों के इस दिल को मना लेंगे ||

शायद उन्हें कभी प्यार ही न था हमसे |
हम ही उनके सपने अपनी आँखों मे सजा रहे थे |
अपनी हैसियत भूल चुके थे हम उनके प्यार में |

अब उस रब से उनके खुश रहने की दुआ करते है |
हर रोज उनकी ख़ुशी के लिए, उस रब के सामने झुका करते हैं ||

Monday, July 9, 2012

जीवन का आधार है प्यार फिर कहते हो प्यार क्यों | |


जीवन का आधार है प्यार फिर कहते हो प्यार क्यों |
रूप का श्रंगार है प्यार फिर कहते हो प्यार क्यों ||
हमारी जिंदगी को बदल दिया है जिसने वो है प्यार |
फिर कहते हो प्यार क्यों.. फिर कहते हो प्यार क्यों ||

Sunday, July 8, 2012

यूँ तो आते है हमें खुदा को भी मनाने के बहाने हजार |

यूँ तो आते है हमें खुदा को भी मनाने के बहाने हजार |
मगर न जाने उन से बात करते वक़्त क्यों कम पड़ जाते है अल्फाज | |
सोचते है कि बता दे उन्हें अपनी दिल की बात |
मगर डरते है कि कही उनका दिल न दुःख जाये ||

Monday, July 2, 2012

कि जिन्दगी पर एक किताब लिखूंगा |


कि जिन्दगी  पर  एक  किताब  लिखूंगा |
और  उस पर  सारा  हिसाब  लिखूंगा ||
जो  बीत  गयी  है  वो बात  क्या  लिखू |
जो  गुजरेंगे वो हालत लिखूंगा ||

मोहब्बात किताबो मे पड़ने से नहीं होती |


मोहब्बात किताबो मे पड़ने से नहीं होती |
चाहने वाली चीज नयी  और पुरानी नहीं होती ||
और चाहत हो किसी को सच्चे दिल से पाने की |
तो फिर उसे खुदा की भी जरुरत नहीं होती ||