Wednesday, December 19, 2012

इस तरह से रोकते है वो लोग अब रस्ते हमारे |


इस तरह से रोकते है वो लोग अब रस्ते हमारे |
सोने से पहले ही जगाते है , कही रातो में रातो में कोई खवाब ||

अब इन आँखों में नीद का आना एक ख्व्वाब सा हो गया है |
जब से वो शक्श हमसे जुदा सा हो गया है ||

शायद खबर नहीं होगी, उन लोगो को अभी |
जो हमें जगाने के लिये, रातों की नीदे ख़राब करते है अपनी ||

हमें तो आदत है, यूँ रातो में जगाने की |
उनकी सेहत देख लगता नहीं, क़ी वो भी वाकिफ होंगे इस हुनर से ||

अब जा कर कोई कह दे उनसे ,
की इन तूफानों का रास्ता न रोंके ||
एक पल में याद दिला सकते है तुम्हारी औकात |
मगर आज भी हम मानवता की हद नहीं पार करते ||

Saturday, December 15, 2012

मैं वो पत्थर हूँ, जिसे हर किसी ने ठुकराया हैं |




मैं वो पत्थर हूँ, जिसे हर किसी ने ठुकराया हैं |

हमारे इस भोलेपन का हर किसी ने फायदा उठाया हैं ||

तरह-तरह से रोकते है वो लोग अब रस्ते हमारे |

झोली फैलाये फिरते थे, जो कभी सामने हमारे ||


By: Lalit Bisit

Wednesday, December 12, 2012

करवातो में कटती रात, सिलवटो में बदल गयी |


करवटो में कटती रात, सिलवटो में बदल गयी |

करवटो में कटती रात, सिलवटो में बदल गयी |

इतने खुश थे, कि यूँ ही रात गुजर गयी ||

 इस कदर किया आज, किसी की  नजरो ने घायल |

बेजान ज़िन्दगी में जैसे हजारो रंग भर गयी ||