Friday, June 8, 2012


इन आखों मे मुस्कुराहटो का खजाना ढूढ़ता हूँ,
तुम्हारे शहर में मैखाना ढूढ़ता हूँ |
कुछ तो मिले होश खोने के लिए,
आज बेहोशी का बहाना ढूढ़ता हूँ ||

प्रेम अभिलाषा :: ललित बिष्ट