Thursday, June 21, 2012


मैंने हर रूह को तडपते  देखा है |
बड़े बड़े शेरो को यहाँ सिर्फ गरजते देखा है |
और जो लोग कहते थे डर के आगे जीत है |
उन्हें भी डर - डर के मरते हुवे देखा है ||

प्रेम अभिलाषा :: ललित बिष्ट