यूँ तो आते है हमें खुदा को भी मनाने के बहाने हजार |
मगर न जाने उन से बात करते वक़्त क्यों कम पड़ जाते है अल्फाज | |
मगर न जाने उन से बात करते वक़्त क्यों कम पड़ जाते है अल्फाज | |
सोचते है कि बता दे उन्हें अपनी दिल की बात |
मगर डरते है कि कही उनका दिल न दुःख जाये ||