Tuesday, July 24, 2012

मैंने इस शहरों में, शादियों में बड़ा अजूबा देखा हैं |

मैंने इस शहरों में, शादियों में बड़ा अजूबा देखा हैं |
बड़े बड़े अफीसरों को मैंने,
भिखारियों की तरह पलेट कटोरों में देखा है |
यहाँ शादियों में बड़ी रौनक लगी मिलती है,
काउंटर में खाली लिफाफे जमा करने वालों की भीड़ लगी रहती है |
हर एक आदमी, खिलने वाले की बुराई मे लगा रहता है,
एक-एक की थाली मे, दस का खाना लगा रहता है |
जहाँ देखो, हर तरफ लोग ऐसे नजर आते है,
संसद में जैसे भेड़िये घूस जाते है |
लोग शादी मे बैंड खूब बजवाते है,
और जाते जाते बैंड वाले की ही बुराई कर जाते है |
कैसे अमीरों ने शादियों का ढंग बदल रखा है,
 गरीब की नाक मे दम कर रखा है |
शादियाँ यहाँ व्यापार बन गयी है,
दुलहन की मांग का सिंदूर, पैसे मे बदल गयी है |
चलो अच्छा है, अभी सिर्फ ढंग बदला है,
कुछ समय बाद इंसान का रंग बदल जायेगा |
फिर एक दिन इंसान, खुद इंसान बनाने को तरस जायेगा ||

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