तेरी यादों को जीने का, सहारा मै समझता हूँ |
तुम्हे अपनी निगाहों का, नजारा मै समझता हूँ ||
कि जिस दिन तुम नहीं आते, मेरा दिल रूठ जाता है |
मनाऊं दिल को अब कैसे, समझ मेरे न आता है ||
जो तुमको भूल जाने कि, बहुत कोशिश जो कि हमने |
मगर हर बार वो चेहरा, मेरी आँखों में रहता है ||
जो आँखे बन्द भी कर लूँ, तो फिर सपनों मे आता है ||
तो कैसे भूल जाऊ उसको, अब इतनी सरलता से |
जिसे पाने मे हमने खो दिए, वर्षों जवानी के ||
अब तो यूँ ही बस जीते है, कि कट जाये ये जीवन |
फिर अगले जन्म मे हमको मिले वो दिन जवानी के ||..||