Wednesday, July 11, 2012

तेरी यादों को जीने का, सहारा मै समझता हूँ |


तेरी यादों को जीने का, सहारा मै समझता हूँ |

तुम्हे अपनी निगाहों का, नजारा मै समझता हूँ ||

कि जिस दिन तुम नहीं आते, मेरा दिल रूठ जाता है |

मनाऊं दिल को अब कैसे, समझ मेरे न आता है ||

जो तुमको भूल जाने कि, बहुत कोशिश जो कि हमने |

मगर हर बार वो चेहरा, मेरी आँखों में रहता है ||

जो आँखे बन्द भी कर लूँ, तो फिर सपनों मे आता है ||

तो कैसे भूल जाऊ उसको, अब इतनी सरलता से |

जिसे पाने मे हमने खो दिए, वर्षों जवानी के ||

अब तो यूँ ही बस जीते है, कि कट जाये ये जीवन |

फिर अगले जन्म मे हमको मिले वो दिन जवानी के ||..||