Saturday, March 31, 2012

यूँ दर बदर भटकता रहा, नहीं मिला किसी का सहारा |

यूँ दर बदर भटकता रहा, नहीं मिला किसी का सहारा |
बहती नदियाँ मेँे, नहीं मिला कोई किनारा ||
अब क्योँ रोये उन के लिए गालिफ |
चलती राहों मे छोड दिया, जिन्होंने हाथ हमारा ||