ये मधुमस्ता हवाएं ,
ये रेशम सी घटायें |
कर रही हैं घायल ,
मेरे मान को हायें ||
ना जाने आज ये मौसम
क्यों रूठा हैं हमसे ||
ये फूल, ये पंछी ,
क्यों खफा हैं हमसे |
न जाने आज फिर ,
क्यों याद आ रहा हैं वो चेहरा ||
जिसे भुलाने में,
वषों गुजर गए यूँ ही |
लगता हैं आज वो ,
फिर किशी मुस्किल में हैं ||
ए खुदा अब यही ,
गुजारिश है तुमसे |
कि उसके सारे गम,
मेरे दामन में भर दें |
और मेरी सारी खुशी,
उनके जीवन को समर्पित कर दें ||
ये रेशम सी घटायें |
कर रही हैं घायल ,
मेरे मान को हायें ||
ना जाने आज ये मौसम
क्यों रूठा हैं हमसे ||
ये फूल, ये पंछी ,
क्यों खफा हैं हमसे |
न जाने आज फिर ,
क्यों याद आ रहा हैं वो चेहरा ||
जिसे भुलाने में,
वषों गुजर गए यूँ ही |
लगता हैं आज वो ,
फिर किशी मुस्किल में हैं ||
ए खुदा अब यही ,
गुजारिश है तुमसे |
कि उसके सारे गम,
मेरे दामन में भर दें |
और मेरी सारी खुशी,
उनके जीवन को समर्पित कर दें ||